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नदिया किनारे 1


कार में मैं और रोनी अन्जान थे, पर मुन्ना और बबलू अपनी गर्ल-फ़्रेन्ड्स के साथ थे। चूंकि कार रोनी की थी सो उसे तो साथ आना ही था। मुझे तो मंजू ने कहा था। नैना बबलू के साथ थी। कार कच्ची सड़क पर हिचकोले खाती हुई चल रही थी। पीछे बैठे मन्जू और नैना मुन्ना और बबलू के साथ बड़ी ही बेशर्मी से अश्लील हरकतें कर रही थी। उन्हें देख कर मेरे मन में भी गुदगुदी होने लगी थी। पर मन मसोस कर चुपचाप बैक-मिरर से उनकी हरकतें देख रही थी।
तभी एक गार्डन जैसे स्थान पर रोनी ने गाड़ी रोक दी। साथ में लगी हुई नदी बह रही थी। दूर दूर तक कोई नहीं था। हमने कार में से दरियां निकाल कर उस जन्गल जैसी जगह में बिछा ली। सारा सामान निकाल कर एक जगह लगा दिया। थर्मस से चाय निकाल कर पीने लगे। तभी बबलू और मुन्ना ने अपने कपड़े उतार दिये और मात्र एक छोटी सी अन्डरवियर में आ गए। दोनों ने ही नदी में छलांग मार दी…
मंजू और नैना भी पीछे पीछे हो ली। चारों पानी में उतर गये और खेलने लगे। बस मैं और रोनी वहां रह गये थे। मैं तो जैसे उन सभी के बीच साधारण सी लग रही थी। ढीला ढीला कुर्ता पजामा, कहीं से कोई भी अंग बाहर नहीं झांक रहा था। इसके उलट मैना और मंजू तो अपनी छोटी छोटी स्कर्ट में अपना जैसे अंग प्रदर्शन करने ही आई थी। कुछ ही देर में नदी में छपाक छपक की आवाजें बन्द हो गई। दोनों ही जोड़े पानी के अन्दर कमर तक एक दूसरे के साथ अश्लील हरकतें करने लगे थे।
“कोमल उधर मत देखो … वो तो है ही ऐसे ! यही करने तो आए हैं यहाँ ये सब !” रोनी ने मुझसे कहा।
“जी… जी हां… वो …” मेरे विचारों की श्रृंखला टूट गई थी, मेरे मन की गुदगुदी जैसे भंग हो गई।
“आओ , अपन उधर चलते हैं !”
मैं उसके साथ चुपचाप उठ कर चल दी। एक झाड़ी के झुरमुट के पीछे खड़े हुये ही थे कि मुन्ना और नैना नदी में उसी तरफ़ एकांत देख कर छुपे हुये थे। नैना ने मुन्ना का लण्ड पकड़ा हुआ था और उसकी स्कर्ट नैना के चूतड़ से ऊपर थे जिसे मुन्ना बेरहमी से दबा रहा था। उसे देख कर मेरा दिल जोर से धड़क उठा। रोनी भी हतप्रभ सा रह गया। हम दोनों की नजरें जैसे उन पर जम गई। तभी मुझे अहसास हुआ कि रोनी मेरे साथ में है।
मैंने घबरा कर रोनी की तरफ़ देखा। रोनी अभी भी ये दृश्य देख कर सम्भला नहीं था। रोनी का लण्ड जैसे अपने आप करवटें लेने लगा। रोनी ने मेरी तरफ़ देखा… मेरी नजरें अपने आप झुक गई। मेरा मन भी डांवाडोल हो उठा। जवानी का तकाजा था… मेरा चेहरा लाल हो उठा। रोनी की नजरों में लालिमा उभर आई। नैना और मुन्ना की अश्लील हरकतों से मेरी जान पर बन आई थी। लाज से मैं मरी जा रही थी।
“कोमल, यह तो साधारण सी बात है, दोनों जवान है, बस मस्ती कर रहे हैं !”
“ज़ी… नहीं वो बात नहीं … ” मैंने झिझकते हुये कहा। मेरे चेहरे पर पसीना उभर आया था। उसने पीछे से आकर मेरी बाह पकड़ ली। मेरा जिस्म पत्ते की तरह कांप गया। मैंने अपनी बांह उससे छुड़ाने की कोशिश की।
मेरा मन एक तरफ़ तो रोनी की हरकतों से प्रफ़ुल्ल हो रहा था… तो दूसरी तरफ़ डर भी रही थी। मैंने सोचा कि अगर मैं रोनी को छूट दे दूं तो वो फिर मुझे चोदने की कोशिश करेगा। बस यह बात दिल आते ही मेरा दिल धाड़ धाड़ करने लगा। उसी समय मुझे लगा कि रोनी का हाथ मेरे कमर के इर्द गिर्द लिपट गया। मेरा अनछुआ शरीर पहली बार कोई अपनी बाहों में भर रहा था।
“ऐसे मत करिये जी… मैं मर जाऊंगी !”
“कोमल, यहां हमें कोई नहीं देख रहा है, बस एक बार मुझे किस कर लेने दो !”
“क्…क्…क्या कह रहे हो रोनी… मेरी जान निकल जायेगी… हाय राम !”
मेरे ढीले ढाले कुर्ते पर उसके हाथ फ़िसलने लगे। उसका एक हाथ मेरे बालों को सहला रहा था। मुझे जैसे नींद सी आने लगी थी।
“मेरी मां… हटो जी… मुझे मत छुओ … ” मेरी सांसे तेज हो गई। शर्म के मारे मैं दोहरी हो गई। उसके हाथ अब मेरी छोटी छोटी चूंचियों पर आ गये थे जो पहले ही कठोर हो गई थी। निपल जैसे कड़े हो कर फ़टे जा रहे थे। उसके हाथों तक मेरे दिल की धड़कन महसूस हो रही थी। शरीर में मीठा मीठा सा जहर भरा जा रहा था। उसके अंगुली और अंगूठे के बीच मेरे निपल दब गये। उसे वो हल्के से मसल रहा था। मेरी सिसकियां मुख से अपने आप ही निकल पड़ी। मन कर रहा था कि बस मुझे ऐसा मजा मिलता ही रहे। दिल की कोयलिया पीहू पीहू कर कूक उठी थी।उसका मैंने जरा भी विरोध नहीं किया। मैंने पास के पेड़ के तने से लिपट गई। उसका हाथ अब मेरे छोटे से चूतड़ो पर था। ढीले पजामे में मेरे चूतड़ के गोले नरम नरम से जान पड़े… कैसी मीठी सिरहन पैदा हो गई। मैं ऊपर से नीचे तक सिहर उठी।
“चलो, वहीं चल कर कर बैठते हैं … वो दोनों तो अपने आप में खोये हुये हैं। मैंने शरम से झुकी अपनी बड़ी बड़ी आंखे उठा कर रोनी को देखा… उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था। उसके हाल पर मुझे दया भी आई… मेरी हालत भी सच में दया के काबिल थी…। हम दोनों वापस दरी पर जाकर बैठ गये। वहां कोई नहीं था, शायद वो चुदाई में लगे थे। उनकी चुदाई के बारे में सोच कर ही मुझे शर्म आने लगी थी।
रोनी ने मेरा कंधा हाथ से थाम लिया और मुझे जोर लगा कर लेटा दिया।
उसने मुझे अपने नीचे धीरे से दबा लिया और अपने अधर मेरे अधरों पर रख दिये। मैंने भी सोचा कि अब ज्यादा नखरे दिखाने से कोई फ़ायदा नहीं है… मेरे साथ की सहेलियां तो मस्ती से चुदवा रही है… मैं भी जवानी का मधुर मजा ले लूँ। यह सोच कर मैंने अपने आपको रोनी के हवाले कर दिया। रोनी को भी लगा कि अब विरोध समाप्त होता जा रहा है … और मैं चुदने के लिये मन से राजी हूं तब वो मुझ पर छाने लगा। मेरी आंखे उन्माद में बन्द होने लगी थी।
रोनी ने कब अपने कपड़े उतार लिये मुझे पता ही नहीं चला। वो मेरे कपड़े भी एक एक करके उतारने लगा। जब ब्रा की बारी आई तो मैं शर्म से लाल हो गई थी। मेरे रोकते रोकते भी ब्रा उतर चुकी थी। मैंने दोनों हाथ आगे करके अपनी चूंचियां छुपा ली। पर अब मेरी पैन्टी को कौन सम्भालता। उसने उसे भी खींच कर उतार दी… मेरी चूत अब नीले गगन के तले खुली हुई थी। मैंने अपनी चूत छुपाई तो मेरी चूंचियां पहाड़ की तरह सीधी तनी हुई सामने आ गई। मेरे जवान जिस्म के कटाव और उभार रोनी पर तलवार की भांति वार कर रहे थे।
मेरा कसा हुआ सुन्दर जिस्म था। चिकना और लुनाई से भरा हुआ चमकता हुआ जिस्म।
शायद दोनों से बहुत सुन्दर, उत्तेजना से भरा हुआ, कसकता हुआ शरीर।
“मर गई मेरी मां !!! मुझे बचा लो कोई…” उसका हाथ मेरी चूंचियों पर आ गया था। मैं नीचे दबी हुई शर्म से घायल हुई जा रही थी।
“कोमल जी… आपकी छाती तो बुरी तरह धड़क रही है…”
“रोनी… अब बस करो ना … देखो तुमने मेरा कैसा हाल कर दिया है… छोड़ दो मुझे !”
मेरी चूत जैसे लण्ड लेने के लिये बेकाबू होती जा रही थी। मेरी उलझी हुई लटें अब वो समेट रहा था। उसने जल्दी से कण्डोम निकाला और लण्ड पर पहनाने लगा। मैंने तुरन्त ही उसे छीन कर एक तरफ़ फ़ेंक दिया। वो समझ गया कि मैं अपनी चुदाई में नंगा लण्ड खाना चाहती हूं।
उसका कड़क लण्ड मेरे अनछुई योनि-द्वार पर दस्तक दे रहा था। मेरी चूत पानी छोड़ छोड़ कर बेहाल हो रही थी। रोनी का भार मेरे शरीर पर बढ़ चला। उसका लण्ड ने बड़ी सज्जनता से चूत में प्रवेश कर गया। मैंने अपने वासना के मारे अपने होंठ काट लिये। रोनी को अपनी ओर दबा लिया। उसका लण्ड मोटा और लम्बा था। सुपाड़ा भी नरम और गद्देदार था।
To be continued……