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प्यासी निगाहें

प्यासी निगाहें
एक बार काम के सिलसिले में मुझे दिल्ली में दो महीने रुकना था। मैं अपने एक दोस्त के रिश्तेदार मिस्टर यादवेन्द्र सिंह के यहाँ पेईंग-गेस्ट बन कर रहा। मिस्टर सिंह 52 साल के थे, उनकी पत्नी सुचित्रा सिंह 46 साल की थी। उनके दो बच्चे थे, एक लड़का विजय सिंह जो पढ़ाई के लिए लिए यू एस ए गया था और एक लड़की मिस रूपाली सिंह जो चंडीगढ़ के कॉलेज में हॉस्टल में रह कर पढ़ती थी, रूपाली छुट्टियों में ही घर पर आती थी।
जब मैं वहाँ पहुँचा तो सिर्फ़ अंकल और आँटी ही थे। मुझे एक कमरा दे दिया था, पहले मैं बहुत शरमाता था फिर धीरे-धीरे मैं उन लोगो में घुलमिल गया।
आँटी बहुत ही अच्छा खाना पकाती थी बिल्कुल घर के जैसा और अंकल का स्वभाव भी काफ़ी अच्छा था।
मैं रोज़ सुबह 10 बजे ऑफ़िस चला जाता था और शाम को 7 बजे घर आता था। फिर सब लोग साथ में खाना खाते थे। फिर मैं सोने चले जाता था। रोज़ मेरी यही दिनचर्या रहती थी।
मुझे एक ही बात कभी कभी ख़टकती थी, आँटी मुझे कभी-कभी ऐसी नज़रों से देखती थी कि मेरे तन-बदन में आग लग जाती थी। वैसे उसको देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वो 46 साल की हैं और वो भी दो बच्चों की माँ ! थी तो वो थोड़ी मोटी लेकिन फिर भी एकदम बढ़िया फिगर थी उनकी।
मुझे पहले तो बड़ी शरम आती थी ! वो जैसे मेरे तरफ देखना चालू करती, मैं अपना मुँह नीचे कर लेता क्योंकि वो आयु में काफ़ी बड़ी थी, कभी कभी तो वो अंकल के सामने ही मुझे देखती रहती।
उनकी ऐसी हरकतों से मैं डर जाता था।
वैसे वो बात बड़ी प्यारी-प्यारी करती थी, दोनों बड़े प्यार से मुझे रखते थे, मुझे वहाँ कोई पाबंदी नहीं थी, कभी भी कहीं भी गह्र में घूमो, बाहर घूमो, कुछ भी खाओ ! कोई रोक-टोक नहीं थी।
एक शाम मैं ऑफ़िस से घर आया तो आंटी ने दरवाज़ा खोला। मैं फ्रेश होकर सोफे पर बैठ गया। अंकल घर पर नहीं थे।
मैंने आंटी से पूछा- अंकल कहाँ गये हैं?
तो वो मुस्कुरा कर बोली- आज वो अपने फ्रेंड के बेटे को देखने अस्पताल गये हैं और रात भर वहीं रुकने वाले हैं।
और मुझे कहा कि मैं वहाँ अंकल को खाना देकर आऊँ।
मैं जल्दी से अस्पताल पहुँचा, वहाँ काफ़ी भीड़ थी। अंकल को खाना दिया। फिर थोड़ी देर वहाँ रुका और खाली टीफ़ेन लेकर घर पहुँचा।
बड़ी तेज़ भूख लग रही थी। घर जाकर मैंने और आंटी ने खाना खाया, फिर मैं टीवी देखने लगा और आंटी अपना काम करने लगी।
वो काम करते करते बार बार मेरी तरफ प्यासी निगाहों से देखा रही थी।
मैं एकदम डर सा गया !