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इत्तिफ़ाक़ से-1


प्रेषिका : मोनिषा बसु
हाय दोस्तो, मेरा नाम है अंकुर ! वैसे मेरा असली नाम तो अमीना बेगम है लेकिन इन्टर्नेट पर मैं अपना नाम अंकुर ही लिखती-बताती हूँ।
मेरे सभी दोस्त कहते हैं कि मैं शर्मीली हूँ और मुझे लगता है वे सही कहते हैं। मुझे लगता है कि मैं ज्यादा आकर्षक नहीं हूँ लेकिन अगर कोई पुरुष मेरी तारीफ़ करें तो मैं बस पिंघल जाती हूँ, मेरी योनि गीली हो जाती है ! अगर आपको छोटे स्तन और एक बहुत तंग छोटी योनि पसंद हो, तो मैं आपकी ही पसंद की लड़की हूँ। और जितनी आप मेरी छोटी छोटी चूचियों, मेरी कसी हुई गाण्ड की प्रशंसा करेंगे, उतनी ही अधिक उत्सुक हो जाऊंगी मैं अपना यह सब आपको दिखाने को ! ऐसा नहीं है कि मैं अपने बदन को दिखाने में बहुत अधिक उदार हूँ लेकिन अगर कोई पुरुष मेरी पूजा करे तो उत्तेजित हो उठती हूँ ! अगर आप चाहें तो आप भी देख सकते हैं ! मुझे फोन करो और मुझे कहो तो मैं आपको अपना सब कुछ दिखा दूंगी!
जिससे मैं उत्तेजित होती हूँ : जैसे ही आप फोन करेंगे और मेरे उँगलियाँ अपने आप मेरी योनि को चूमने लगती हैं, मज़ा आता है।
मुझे एक फ़ोन करें ! मेरा फ़ोन नम्बर यहाँ है। अगर आपने मेरी अन्तर्वासना जगा दी तो मैं अपने शिक्षक यानि आपकी गुलाम हो जाऊँगी।
मैं आपको अपने मस्त यौन जीवन की एक घटना सुनाती हूँ :
एक बार मेरे भाईजान ने कहीं बाहर जाना था तो भाई सलीम ने अपना सामान बांधा और मैं भाई के साथ सामने टैक्सी स्टैन्ड पर जा खड़ी हुई। भाई को बोरीवली स्टेशन पर छोड़ना था। यहाँ से स्टेशन काफ़ी दूर था। तभी मेरे भाई के एक दोस्त ने हमें देख लिया और अपनी मोटर-बाईक लेकर हमारे पास आ गया।
"अरे... कहाँ की तैयारी है...?"
"स्टेशन तक जाना था ... मैं जा रहा हूँ, यह छोटी बहन अमीना है।"
"तो मैं हूँ ना यार ... उसी तरफ़ जा रहा हूँ, स्टेशन पर छोड़ दूंगा, हाय... मेरा नाम समीर है।"
"मैं अमीना हूँ... हाय !"
"तो आ जाओ ..."
मैंने अपने भाई की तरफ़ देखा तो उसने मुस्करा कर हाँ कह दी। हम अपने दोनों ने अपने पैर चीरे और पीछे अपने पैर फ़ैला कर बैठ गये। भाई ने हाथ हिलाया और समीर ने अपनी बाईक आगे बढ़ा दी। समीर के लिये भाई से क्या कहती, पर हाँ वो पट्ठा तो सजीला जवान था। कसी जीन्स और तंग टीशर्ट में वो एक बांका जवान लग रहा था। मेरी इतनी बातों से तो आप समझ ही गये होंगे कि मैं उस पर फ़िदा हो चुकी थी। पीछे बैठे बैठे मैंने अपनी दोनों टांगें उसके कूल्हे पर चिपका दी। बीच बीच में गाड़ी के उछलने पर मैं अपनी कठोर छातियों को उसकी पीठ से दबा देती थी। मेरे ऐसा करने से वो कुछ कुछ समझ रहा था। उसका शरीर कुलबुलाने लगा था। स्टेशन पहुँच कर समीर ने भाई को वहाँ छोड़ दिया।
"अब आपको घर पर छोड़ दूँ?"
"वहाँ अब कौन है, भाई था वो तो चला गया !"
समीर हंस दिया और गाड़ी घर की मोड़ दी रास्ते में एक कॉफ़ी हाउस पड़ता था।
"जल्दी घर जा कर क्या करोगी, क्यों ना हम यहाँ कॉफ़ी पी लें?" एक कॉफ़ी शॉप पर समीर ने बाइक रोकते हुए कहा।
अन्धेरा बढ़ने लगा था। वो मेरे शरीर को ऊपर से नीचे तक यों देख रहा था जैसे कि अन्दर से मैं नंगी कैसी लगूँगी। मैंने भी उसके शरीर का जायजा लिया, खास करके उसके लण्ड के आसपास का। मेरी गाड़ी की हरकतें उसे याद थी, सो वो मुझे फ़्लर्ट करने लगा।
"आप बहुत सुन्दर है अमीना जी !"
"आप तो सीधे ही लाईन मारने लगे?"
"लाइन ही मारी ना ... कुछ और तो नहीं?"
"बहुत चालू लगते हो?"
"चालू नहीं... चलें?"
"चलो..."
"अरे वहाँ नहीं, उधर, झाड़ियों के पीछे !"
"धत्त ... वहाँ क्या करेंगे?"
"चलो तो सही ... वहीं फ़ैसला कर लेंगे !"
मैंने सर झुकाया और दो पल को सोचा- मूड में लगता है यह तो ... क्या करूँ?... क्या चोदेगा? ... तो फिर झाड़ियों के पीछे ले जाकर क्या करेगा। हाय चलूँ एक बार तो मजे मार लूँ।
"देखो, नो छेड़ा छाड़ी ... चलो !"
हम लोग थोड़े से आगे निकल आये... और एक घनी झाड़ी देख कर सावधानी से चारों ओर देखा। बस शाम का धुंधलका था। तभी समीर ने मुझे पकड़ पर अपनी ओर खींच लिया। मैं लहराती हुई उसकी बाहों में चली आई।
"हाय समीर... जरा धीरे से !"
उसके हाथ सीधे मेरी चूचियों पर आ गये। मेरे चिकने गोल गोल से गोले उसके हाथों में मसले जाने लगे। एक खुशी की तरंग सी उठी। तो चुदना तय था। उसने जल्दी से अपने अधर मेरे अधरों से चिपका लिये। एक झुरझुरी सी लहरा गई तन में चूत में खुजली सी चलने लगी। जैसे जैसे वो मेरे स्तन मसलता, मेरी चूत की खुजली बढ़ने लगती। तभी थप से उसका हाथ मेरे गोल मटोल चूतड़ों पर आ जमा। वो उसे मसल मसल कर दबाने लगा। मैं नशे में झूम सी गई। मैंने उसके जीन्स के ऊपर से उसका लण्ड टटोला। साला सख्त हो गया था, पर टाईट जीन्स में वो कसा हुआ था।
"समीर, इस घोड़े को तो आजाद करो !"
उसने अपना बेल्ट ढीला किया... बाकी काम मैंने कर दिया। उसकी जीन्स के बटन खोल कर जिप नीचे खींच दी। फिर उसकी चड्डी और जीन्स एक साथ नीचे उतार दी। ओह्ह, मैया रे ... इतना मस्त मोटा लण्ड? मैंने उसे धीरे से थाम लिया।
मेरे मुँह से सिसकी निकल पड़ी। मोटा फ़ूला हुआ सुपाड़ा सीधा सख्त सा तन्ना रहा था। मैंने भी धीरे से अपनी जीन्स नीचे सरका दी।
"समीर बस अब देर ना करो ... चोद दो मुझे !"
"अभी नहीं ... जरा अपनी चूत का रस तो चख लेने दो !"
"आह्ह्ह ... नहीं नहीं ! घर पर देर हो जायेगी।"
पर वो नहीं माना, नीचे सरकते हुए उसने मेरी चूत की नरम सी लकीर के बीच अपना मुख दबा दिया। मैंने उसके बाल जोर से जकड़ लिये। वो मेरी चूत को जीभ तीखी करके सटासट चाटने लगा। मेरी मस्त यौवन कलिका को और मस्त करने लगा। मेरे मुख से खुशियों की किलकारियाँ निकलने लगी। फिर उसने मुझे नीचे खींच लिया और खुद खड़ा हो गया। मुझे नीचे बैठा कर उसने अपना लण्ड मेरे मुख में जबरदस्ती घुसेड़ दिया। क्या मोटा लण्ड है राम जी ... मैंने अपनी कसी हुई स्टाईल में उसका लण्ड चूसना शुरू कर दिया। उसके आगे पीछे होने से मुख की चुदाई का अहसास होने लगा था।
"चल चल अमीना लेट जा !" उसने मुझे धीरे से जमीन पर ही लेटा दिया और मेरे ऊपर छाने लगा। तभी उसका मस्त मोटा लण्ड मेरी प्यारी सी चूत में गुदगुदाता हुआ अन्दर उतरने लगा। आह्ह जैसे जन्नत नजर आ गई। मैंने भी अपनी चूत को ऊपर उठा कर उसका लण्ड भीतर लेने लगी। नतीजा यह हुआ कि एक ही बार में मेरी चूत ने उसका पूरा लण्ड खा लिया।
"दे ना ... जरा जम के दे... पेल दे चूत को !"
"तू तो मस्त चुदक्कड़ है रानी !"
"उहं ... मजा तो पूरा लण्ड लेने में ही है ... चल चोद ना !"
उसने धीरे से लण्ड बाहर खींचा ...
उह्ह मर गई राम ... मजा आ गया ! मैं भीतर तक लहरा उठी।
"अब दूँ क्या जमा कर..."
"दे दे राम ... जरा मस्ती से दे दे ... ऊऊऊउह्ह्ह्ह्ह ... मैया रे ... जरा और जोर से..."
"भोसड़ी की गजब की चुदक्कड़ राण्ड है !"
"ऊह्ह्ह्... राण्ड नहीं रण्डी बोल... मादरचोद !"
"अरे वाह गाली भी देती है ... तो यह ले भेन की लौड़ी..."
उसने अपनी तेजी दिखाई। उसका लण्ड मेरी चूत में सटासट चलने लगा। मेरी मस्ती भरी सिसकारियाँ मुख से निकलने लगी।
"अरे मर जाऊँ राजा ... और तेज ... दनादन ... चोद दे साले भेन चोद !"
मेरी चूत में खुजली बहुत तेज हो गई थी। मेरी सांसें उखरने लगी थी। मैं चरम सीमा पर पहुँचने लगी थी। मेरी आँखें बन्द हो गई थी। मुख से अनापशनाप बोल निकल रहे थे।
"चुद गई राजा ... फ़ाड़ दी मेरी चूत ... मेरा तो बाजा बज गया ... चोद दे जोर से ... निकाल दे सारा पानी ... भोसड़ी के ... मार दे ... ऊह्ह्ह्ह्ह ... उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ... राजा ... बस ...बस ... निकल गया मेरा तो... बस कर।"
उसने अब मेरी गोल गोल गाण्ड थपथपाई और मुझे खड़ी कर दिया। मेरी गाण्ड पर से मिट्टी साफ़ की और मेरे दोनों पट चीर दिये।
उफ़्फ़्फ़ ... मेरे चूतड़ों की दरार अलग अलग हो गई ... मुझसे बिना पूछे ही उसने मेरी गाण्ड में अपना लण्ड टिका दिया।
"मस्त गाण्ड है... कितनी नरम है !"
उसका सुपाड़ा छेद में फ़क से घुस गया। उसने बेदर्दी से मेरी गाण्ड का कीमा बनाना चालू कर दिया। पर मुझे तो वो मस्ती की खान लगने लगी थी। तभी एक जोड़ा वहाँ से चुदाई के मूड में गुजरा। हमें गाण्ड मराते देख कर वो रुक गया। पर समीर नहीं रुका। उसने मेरी गाण्ड मारना जारी रखा। मैंने भी उसे घूर कर देखा। वो दोनों मुस्काए ... सभ्य लोग थे वो ... हमें हाथ हिलाया और चुदाई के लिये आगे दूसरी झाड़ी तलाशने लगे।
उसकी जोरदार गाण्ड चुदाई से मेरी चूत फिर से गरमाने लगी। तभी उसके लण्ड ने ढेर सारा माल उगल दिया।
"हूँ... मेरी गाण्ड चोदने के लिये किसने कहा था।"
"किसी ने नहीं..."
"फिर मेरी गाण्ड मुझसे बिना इज़ाज़त लिये कैसे चोद दी?"
"तुम इतनी जल्दी पट गई थी और चुदवाने के लिये राजी हो गई थी कि मैंने सोचा लगे हाथ तुम्हारी गाण्ड भी बजा ही दूँ !"
"अब मेरी चूत में जोर की खुजली चल रही है वो ... उसका क्या करूँ?"
"यहाँ बैठो ..."
वो मुझे नीचे बैठा कर मेरी चूत को चूसने लगा। फिर चूत में अपनी दो उंगलियाँ भी फ़ंसा दी।
"अरे मैं मर गई समीर ... तू तो आज मुझे मार ही डालेगा। जरा कोमलता से कर ... इस दाने को भी खींच खींच कर सहलाता जा ... क्या मस्ती है !"
तभी वो जोड़ा वहाँ फिर से आ गया और देखने लगा। मुझे बहुत अजीब सा लगा।
"अह्ह्ह्ह, प्लीज जाइये ना ... हमें करने दीजिये !"
"आप दोनों बहुत किस्मत वाले हैं ... बॉय बॉय..."
दोनों ठण्डी सांसें भर कर दूसरी तरफ़ चल दिये। दूरी पर मैंने देख लिया था कि वो लड़का लड़की से लिपट चुका था। मैं मुस्करा दी।
तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने समीर को धन्यवाद किया। और फिर से उसी कॉफ़ी हाउस में चले आये।
"चलो कॉफ़ी हो जाये !"
इतनी देर में वो जोड़ा हमारे पास से गुजरा और हमें पहचानने की कोशिश करने लगा। अन्धेरे में शायद वो कन्फ़्यूज कर रहा था।
लड़की मुस्करा रही थी ... वो हमें पहचान गई थी।
हम दोनों रेस्टोरेन्ट में बैठे ही थे कि वो जोड़ा हमारे सामने आ गया। दोनों ही सभ्य लग रहे थे, बिल्कुल मेरे और समीर की तरह। उन दोनों ने हमें देख कर मुस्कुराहड़ फ़ेंकी। जवाब में हम भी मुस्करा दिये।
दूसरे भाग की प्रतीक्षा करें !
इतने दूसरा भाग आए तो क्यों ना मुझ से फ़ोन पर बात ही कर लें?