आप लोगों तक पहुँची और आपने उसे बहुत सराहा और मुझे ढेर सारे मेल किए।
मेरे एक दोस्त ने पूछा- तुम औरतों को खुश कैसे करते हो?
वो मैं आपको अपनी इस आपबीती में बताऊँगा।
जैसा कि आप लोगों को पता है कि मेरी पड़ोस वाली भाभी से सम्बन्ध हुए, उसके बाद भाभी ने मुझे अपनी कई सहेलियों से मिलवाया, जिनका अकेलापन मैंने दूर किया।
भाभी ने मुझे बताया- राहुल, तुम्हारा चुदाई का तरीका सबसे अलग है ! मैंने कई लडको से चुदवाया पर जो खुशी मुझे तुम्हारे साथ मिली और किसी के साथ नहीं मिली थी !
उनका कहना था कि चोदने से पहले मैं उन्हें इतना तैयार कर देता हूँ कि उन्हें बहुत मजा आता है।
मेरी यही खूबी जब उन्होंने अपनी एक सहेली को बताई तो उसने भी मुझसे चुदने की इच्छा भाभी के सामने जाहिर की। भाभी ने जब मुझे यह बात बताई तो पहले तो मैंने इंकार कर दिया पर बाद में भाभी के जोर देने पर मैं तैयार हो गया।
शायद यहीं से मेरे कदम कॉल-बॉय बनने की तरफ बढ़ गये।
भाभी की सहेली गुडगाँव में रहती थी। भाभी ने मुझे बताया कि उसके पति बहुत बड़ी कंपनी में काम करते हैं और अक्सर टूर पर रहते हैं।
मैंने भाभी से पूछा- उसके घर जाना है?
तो भाभी ने बताया- नहीं, उसके साथ कहीं शहर से बाहर घूमने जाना है, अच्छे पैसे मिलेंगे।
मैं तैयार हो गया।
पहले से निश्चित तिथि को मैं और भाभी की सहेली मसूरी के लिए निकल पड़े। उसका नाम दिशा था, बत्तीस साल की बला की खूबसूरत औरत, बहुत संवार कर रखा था उसने खुद को ! उसका बदन 32-26-32 के आसपास होगा।
खैर हम उसकी कार में मसूरी के लिए निकले। रास्ते में कभी वो और कभी मैं कार चला कर ले गए थे। दिशा ने रास्ते में मुझसे काफ़ी बातें की और वो मुझसे काफी चिपक कर बैठी थी।
एक सुनसान सी जगह पर उन्होंने कहा- मुझे लू जाना है।
मैंने कार रोक दी।
जब वो कार से उतरी तो बला की मस्त लग रही थी, बदन से चिपकी जींस और टॉप में उनकी खूबसूरती निखर कर सामने आ रही थी। मैं तो बस उसकी कमर ही देखता रह गया।
उसने मुझसे कहा- तुम भी फ्रेश हो लो !
हम दोनों साथ में फ्रेश होने चल दिए।
उसने मेरे सामने ही अपनी जींस का बटन खोला, ज़िप खोली और पैंटी समेत ही जींस नीचे सरकाई तो मैंने उसकी गाण्ड देखी तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
मस्त गोरी और चिकनी गाण्ड थी उसकी !
हम निपट कर वापस कार में आ गए।
उसने मुझसे पूछा- कैसी लगी?
मैंने कहा- मस्त !
फिर उसने आगे बढ़ कर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे चूमने लगी। हम दोनों ने बहुत देर तक एक दूसरे के होंठों को पकड़े रखा और चूसते रहे। इसी तरह रास्ते भर एक दूसरे को चूमते चाटते हुए हम मसूरी पहुँचे और होटल में कमरा ले लिया।
सफ़र के कारण हम बहुत थक गए थे तो उस समय तो खा पी कर सो गए। रात के समय खाने से पहले मैंने बीयर मंगवा ली।
जब बीयर आई तो उसने कहा- अच्छा किया ! जो बीयर मंगवा ली, मूड बन जायेगा।
हमने धीरे-धीरे बीयर पी तो धीरे धीरे मूड बनने लगा, जो दिशा रास्ते में सिर्फ चुम्बन तक सीमित रही थी वो अब पूरी तरह से तैयार थी और मुझे ताना देते हुए उसने कहा- टीना तो तुम्हारी बहुत तारीफ करती है पर तुमने अभी तक अपना हुनर दिखाया नहीं है?
मैंने कहा- दिशा जी, धीरे धीरे में जो मज़ा है वो जल्द्बाजी में नहीं ! मेरा जलवा तो अब शुरू होगा !
और इतना कह कर मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया और उनके लबों को चूमते हुए बिस्तर पर लेकर चला गया।
बिस्तर पर मैंने उनकी नाईटी की डोरी खोल दी, अब उनकी ब्रा मेरे सामने थी। मैंने धीरे धीरे उसके वक्ष ऊपर से सहलाया और एक मम्मे को निकाल कर चूसने लगा।
वो सिसकारने लगी।
जब मैंने उसके चुचूक पर अपनी जीभ लगाई तो उनकी मुँह से एक जोर की सिसकारी निकली। मैंने ऐसे ही उसके दूसरे मम्मे के साथ किया। उसके स्तन काफ़ी सख्त थे।
उसके बाद मैंने उसके पेट को चूमते हुए उनकी ब्रा की हुक खोल दी और उसकी नाभि में अपनी जिव्हा घुसा कर चाटने लगा।
कुछ पल बाद ही दिशा बोली- और नीचे जाओ !
पर मैं वहीं डटा रहा और धीरे धीरे उसकी पैंटी सरकाई तो उसकी चूत दिखाई दी।
क्या मस्त गोरी गुलाबी चूत थी ! हल्के-हल्के बाल !
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
उसकी चूत मेरी इस धीमी गतिविधि के कारण गीली हो गई थी, उसे मैंने चाट चाट कर उसे साफ़ कर दिया।
अब तक मेरा पप्पू भी पूर्णरूपेण खड़ा हो गया था और दिशा भी अब बर्दाश्त नही कर पा रही थी, वो कह रही थी- अब जल्दी से मुझे चोद डालो !
पर मैंने थोड़ी देर और चूत चाटना ज़ारी रखा जिससे वो चुदने को पूरी तरह तैयार हो गई, उसने कहा- जल्दी करो ना !
मैंने अपना अन्डरवीयर नीचे किया तो उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और उसे पूरी तरह गीला करके तैयार कर दिया।
फिर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला और उसे चोदना शुरु किया,
यह काम लगभग 15 मिनट तक चला, उसके बाद जब मैं झरने लगा तो पूछा- कहाँ निकालूँ?
उसने अन्दर ही निकालने को कहा।
उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा। उसके चेहरे पर ख़ुशी दिख रही थी जो मुझे खुश कर रही थी।
सुबह हम जगे तो एक बार फिर यही कार्यक्रम चला। फिर हम फ्रेश होकर वापस दिल्ली के लिए चल दिए। रास्ते में उसने मुझे अपना मोबाइल नम्बर दिया और कहा- टीना सच कहती थी ! तुम दर्द कम देते हो और मज़ा ज्यादा !
मैं बहुत खुश हुआ। उसने मुझे दस हज़ार रूपए दिए और फिर मिलने को कह मुझे मेरे घर के पास छोड़ दिया।
दोस्तो, आपको मेरी यह आपबीती कैसी लगी, जरूर बताना।
आपका राहुल